हनुमान चालीसा #ॐ_हं_हनुमंते_नमः #जय_बजरंगबली

  हनुमानचालीसा भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचंद्र के काज संवारे।। लाय सजीवन लखन जियाये। श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।। रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई। तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।। जय "श्री हनुमान" जी जय "श्री राम" #ॐ_हं_हनुमंते_नमः #जय_बजरंगबली

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आज के युग में भगवान भी मनुष्य की मदद करना चाहे तो नहीं कर सकते।


 

चित्र का रहस्य बहुत ही मार्मिक एवम् गुढ़ है!
चित्र में हाथी रूप पूर्व जन्म के कर्म है। कुऍं में साँप भविष्य के कर्म है। पेड़ की शाखा वर्तमान जीवन है। सफ़ेद चूहा, दिन और काला चूहा, रात बनकर शाखा को काट रहे है। शाखा पर लटका शहद का छत्ता, सांसारिक मोह माया है।

इस स्थिति में भगवान हाथ बढ़ाकर मनुष्य को बचाना चाह रहे है, परंतू मनुष्य टपकते हुए शहद को चूसने में इतना मशगूल है कि आनेवाले संकट और भगवान को भी नज़रअंदाज़ कर रहा है।

तात्पर्य आज के युग में भगवान भी मनुष्य की मदद करना चाहे तो नहीं कर सकते।

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